कोई दीवाना कहता हैं कोई पागल समझता हैं,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता हैं,
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ ,तू मुझसे दूर कैसी हैं,
यह तेरा दिल समझता हैं या मेरा दिल समझता हैं
के मोहोब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी हैं,
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी हैं,
यहाँ सब लोग कहते हैं मेरी आखों में आंसू हैं,
जो तू समझे तोः मोती हैं जो ना समझे तोः पानी हैं
मत पूँछ की क्या हाल है मेरा तेरे आगे ,
तू देख के क्या रंग हैं तेरा मेरे आगे
समंदर पीर का अन्दर हैं लेकिन रो नहीं सकता ,
यह आंसू प्यार का मोती हैं इसको खो नहीं सकता ,
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले,
जो मेरा हो नहीं पाया वोह तेरा हो नहीं सकता
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तोः हंगामा,
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तोः हंगामा,
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहोब्बत का,
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तोः हंगामा
Wednesday, April 22, 2009
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1 comment:
Aabhar
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