Sunday, March 22, 2009

कभी कभी शायरी.. फ़िल्म कभी कभी (1975)

This shayari is for one of my dear friend.
Who happens to be big fan of Kabhi Kabhi song and shayari...


गायक : मुकेश और लता मंगेशकर
संगीत : खय्याम
गीत : साहिर लुधियानवी

कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है,
के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिए..

तू अब से पहले सितारों में बस रही थी कहीं,
तुझे जमीं पे बुलाया गया हे मेरे लिए..

कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है,
के ये बदन ये निघायें मेरी अमानत है..

यह गेशुओं कि घनी छाओं है मेरी खातिर,
ये होठ और ये बाहें मेरी अमानत है..

कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है,
के जैसे बजती है शहेनाइयां सी राहों में..

सुहाग रात है घूंघट उठा रह हूँ में,
सिमट रही हे तु शर्मा के मेरी बाँहों में..

कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है,
जैसे तू मुझे चाहेगी उम्रभर यूंही.

उठेगी मेरी तरफ प्यार की नज़र यूंही,
मैं जानता हूँ के तू ग़ैर मगर यूंही..
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है...


-------------------------------------------------------------------------------

कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है,

की जिंदगी तेरी ज़ुल्फों की नर्म छाओं में गुजरने पाती
तो शादाब हो भी सकती थी.

मगर यह हो न सका, मगर यह हो न सका ,
और अब यह आलम है,
की तू नहीं, तेरा ग़म, तेरी जुस्तुजू भी नहीं.

गुज़र रही है कुछ इस तरह जिंदगी की जैसे,
इसे किसी के सहारे की आरजू भी नहीं.

ना कोई राह ना, ना कोई मंजिल, ना रौशनी का सोराघ
भटक रही है अंधेरों में जिंदगी मेरी,

इन्ही अंधेरों में रह जाऊँगा खोकर,
मैं जानता हूँ मेरी हमनाफाज़ , मगर यूँही

कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है....

---------------------------------------------------------------------------------------

मैं पल दो पल का शायर हूँ
पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है
पल दो पल मेरी जवानी है
मैं पल दो पल का शायर हूँ

मुझसे पहेले कितने शायर आये और आकर चले गए
कुछ आन्हें भरकर लौट गए कुछ नगमे गा कर चले गए
वोह भी एक पल का किस्सा थे मैं भी एक पल का किस्सा हूँ
कल तुमसे जुदा हो जाऊंगा जो आज तुम्हारा हिस्सा हूँ
मैं पल दो पल का शायर हूँ

कल और आएंगे नगमों की खिलती कलियाँ चुननेवाले
मुझसे बेहतर कहनेवाले तुमसे बहेतर सुननेवाले
कल कोई मुझको याद करे क्यों कोई मुझको याद करे
मसरूफ ज़माना मेरे लिए क्यों वक़्त अपना बरबाद करे
मैं पल दो पल का शायर हूँ

-----------------------------------------------------------------------------------------
मैं हर एक पल का शायर हूँ
हर एक पल मेरी कहानी है
हर एक पल मेरी हस्ती है
हर एक पल मेरी जवानी है

रिश्तों का रूप बदलता है, बुनियादें ख़तम नहीं होती
ख्वाबों की और उमंगो की, मियादें ख़तम नहीं होती
एक फूल में तेरा रूप बसा एक फूल में मेरी जवानी है
एक चेहरा तेरी निशानी है, एक चेहरा मेरी निशानी है
मैं हर एक पल का शायर हूँ...

तुझको मुझको जीवन अमृत, अब इन हाथों से पीना है
इनकी धड़कन में बसना है, इनकी साँसों में जीना है
तू अपनी अदाएं बख्श इन्हें में अपनी वफाएं देता हूँ
जो अपने लिए सोची थी कभी, वोह सारी दुआएं देता हूँ
मैं हर एक पल का शायर हूँ...

No comments: